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मत्स्य पालन

जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ

जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ

खेती किसानी में इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (Integrated Farming System) या एकीकृत कृषि प्रणाली के चलन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें किसानों को परंपरागत किसानी के अलावा खेती से जुड़ी आय के अन्य विकल्पों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। मछली पालन भी इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (Integrated Farming System) का ही एक हिस्सा है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना

इस प्रोत्साहन की कड़ी में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana)(PMMSY) भी, किसान की आय में वृद्धि करने वाली योजनाओं में से एक योजना है। इस योजना का लाभ लेकर किसान मछली पालन की शुरुआत कर अपनी कृषि आय में इजाफा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना क्या है, किस तरह किसान इस योजना का लाभ हासिल कर सकता है, इस बारे में जानिये मेरी खेती के साथ। केंद्र और राज्य सरकार की प्राथमिकता देश के किसानों की आय में वृद्धि करने की है। 

खेती, मछली एवं पशु पालन के अलावा जैविक खाद आदि के लिए सरकार की ओर से कृषक मित्रों को उपकरण, सलाह, बैंक ऋण आदि की मदद प्रदान की जाती है। किसानों की आय को बढ़ाने में मछली पालन (Fish Farming) भी अहम रोल निभा सकता है। ऐसे में आय के इस विकल्प को भी किसान अपनाएं, इसलिए सरकारों ने मछली पालन मेें किसान की मदद के लिए तमाम योजनाएं बनाई हैं।

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के शुभारम्भ अवसर पर प्रधानमंत्री का सम्बोधन

कम लागत में तगड़ा मुनाफा पक्का

मछली पालन व्यवसाय में स्थितियां अनुकूल रहने पर कम लागत में तगड़ा मुनाफा पक्का रहता है। किसान अपने खेतों में मिनी तालाब बनाकर मछली पालन के जरिए कमाई का अतिरिक्त जरिया बना सकते हैं। मछली पालन के इच्छुक किसानों की मदद के लिए पीएम मत्स्य संपदा योजना बनाई गई है। इस योजना का लाभ लेकर किसान मछली पालन के जरिए अपनी निश्चित आय सुनिश्चित कर सकते हैं।

PMMSY के लाभ ही लाभ

पीएमएमएसवाय (PMMSY) यानी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में किसानों के लिए फायदे ही फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा ये है कि, इसमें पात्र किसानों को योजना में सब्सिडी प्रदान की जाती है। सब्सिडी मिलने से योजना से जुड़ने वाले पर धन की उपलब्धता का बोझ कम हो जाता है। खास तौर पर अनुसूचित जाति से जुड़े हितग्राही को अधिक सब्सिडी प्रदान की जाती है। इस वर्ग के महिला और पुरुष किसान हितग्राही को PMMSY के तहत 60 फीसदी तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से जुड़ने वाले अन्य वर्ग के किसानों के लिए 40 फीसदी सब्सिडी का प्रबंध किया गया है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लोन, वो भी प्रशिक्षण के साथ

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालन की शुरुआत करने वाले किसानों को सब्सिडी के लाभ के साथ ही मत्स्य पालन के बारे में प्रशिक्षित भी किया जाता है। अनुभवी प्रशिक्षक योजना के हितग्राहियों को पालन योग्य मुफाकारी मछली की प्रजाति, मत्स्य पालन के तरीकों, बाजार की उपलब्धता आदि के बारे में प्रशिक्षित करते हैं।

कैसे जुड़ें PMMSY योजना से

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत लाभ लेने के इच्छुक किसान मित्र पीएम किसान योजना की अधिकृत वेबसाइटपर आवेदन कर सकते हैं। और अधिक जानकारी के लिए, भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट को देखें : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मात्स्यिकी विभाग  मत्स्य पालन विभाग (Department of Fisheries) - PMMSY पीएम मत्स्य संपदा योजना के साथ किसान नाबार्ड से भी मदद जुटा सकता है। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए लागू पीएम मत्स्य संपदा योजना के अलावा, किसान हितग्राही को मछली पालन का व्यवसाय शुरू करने के लिए सस्ती दरों पर बैंक से लोन दिलाने में भी मदद की जाती है।

आधुनिक तकनीक से बढ़ा मुनाफा

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से जुड़े झारखंड के कई किसानों की आय में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ है। राज्य के कई किसान इस योजना के तहत बॉयोफ्लॉक (Biofloc) और आरएएस (Recirculating aquaculture systems (RAS)) जैसी आधुनिक तकनीक अपनाकर मछली पालन से भरपूर मुनाफा कमा रहे हैं। राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (NATIONAL FISHERIES DEVELOPMENT BOARD), भारत सरकार द्वारा जारी लेख "जलकृषि का आधुनिक प्रचलन : बायोफ्लॉक मत्स्य कृषि" की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिये, यहां क्लिक करें - बायोफ्लॉक मत्स्य कृषि 

पीएम मत्स्य संपदा योजना में किसानों को रंगीन मछली पालन के लिए भी अनुदान की मदद प्रदान की जाती है। साथ ही नाबार्ड भी टैंक या तालाब निर्माण के लिए 60 फीसदी अनुदान प्रदान करता है।

ऐसे सुनिश्चित करें मुनाफा

खेत में मछली पालन का जो कारगर तरीका इस समय प्रचलित है वह है तालाब या टैंक में मछली पालन। इन तरीकों की मदद से किसान मुख्य फसल के साथ ही मत्स्य पालन से भी कृषि आय में इजाफा कर सकते हैं। मत्स्य पालन विशेषज्ञों के मान से 20 लाख की लागत से तैयार तालाब या टैंक से किसान बेहतरीन कमाई कर सकते हैं।

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विशेषज्ञों के अनुसार मछली पालन में अधिक कमाई के लिए किसानों को फीड आधारित मछली पालन की विधि को अपनाना चाहिए। इस तरीके से मछलियों की अच्छी बढ़त के साथ ही वजन भी बढ़िया होता है। यदि मछली की ग्रोथ और वजन बढ़िया हो तो किसान की तगड़ी कमाई भी निश्चित है। प्रचलित मान से किसान को एक लाख रुपए के मछली के बीज पर पांच से छह गुना ज्यादा लाभ मिल सकता है। किसान बाजार में अच्छी मांग वाली मछलियों का पालन कर भी अपनी नियमित कमाई में यथेष्ठ वृद्धि कर सकते हैं। किसानों को पंगास या मोनोसेक्स तिलापिया प्रजाति की मछलियों का पालन करने की सलाह मत्स्य पालन के विशेषज्ञों ने दी है।

छत्तीसगढ़ में मिला मछली पालन को कृषि का दर्जा, जाने किसानों के लिए कैसे है सुहाना अवसर

छत्तीसगढ़ में मिला मछली पालन को कृषि का दर्जा, जाने किसानों के लिए कैसे है सुहाना अवसर

छत्तीसगढ़ तालाबों और जलाशयों की भूमि है, इसलिए छत्तीसगढ़ में फसलों के साथ-साथ मछली पालन भी व्यवसाय एक अहम हिस्सा बन गया है। इसी के चलते हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार की एक घोषणा ने यहां पर मत्स्य पालन करने वाले लोगों को काफी राहत की सांस दी है। आंकड़ों की माने तो छत्तीसगढ़ भारत में मत्स्य पालन में आठवें नंबर पर आता है और माना जा रहा है, कि इस घोषणा के बाद इसके 6th नंबर पर आने की संभावना है। मछली पालन से यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हो सकती हैं और इसे ही देखते हुए सरकार ने मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दिया है। प्रशासन की मानें तो यह है राज्य के लोगों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने और उन्हें आजीविका के और साधन देने के लिए लिया गया एक बेहतरीन फैसला है।

अब मछली पालन में क्या होंगे फायदे

अब मछली पालन के लिए लोन लेने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं, क्योंकि यहां पर कृषि की तरह ही बिना ब्याज के लोन देने का प्रावधान किया गया है। ऐसे में मछली पालन के व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही किसानों की आर्थिक समस्या का हल भी मिलेगा। ये भी पढ़े: जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ आजकल हमें यह भी देखने को मिल रहा है, कि सामान्य कृषि में लोगों का रुझान भी कम हो रहा है और साथ ही उसमें आमदनी भी कम होती जा रही है। बारिश के कम ज्यादा होने का मौसम के जरा सा इधर-उधर होने पर कृषि में किसानों की पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो जाती हैं। जिससे उन्हें काफी तंगी का सामना करना पड़ता है, ऐसे में इन सब चीजों को देखते हुए लोगों का रुझान मछली पालन की ओर ज्यादा बढ़ा है।

किस तरह से होगा लोन की दर में बदलाव

पहले की बात करें तो किसानों को 100000 के मूल्य पर 1% और 300000 तक के मूल्य पर 3% ब्याज की दर के साथ लोन दिया जाता था। लेकिन अब जबसे मत्स्य पालन को कृषि की तरह ही दर्जा मिल गया है, तो सरकारी विभाग से यह लोन बिना किसी ब्याज के किसानों को दिया जाएगा। साथ ही यहां पर भी किसान कृषि क्रेडिट कार्ड बनवा सकते हैं और उसका फायदा उठा सकते हैं।

मत्स्य पालकों को दी जाने वाली अन्य सुविधाएं और लाभ

वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ में 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई बांधों एवं जलाशयों से नहर के माध्यम से जलापूर्ति की आवश्यकता पड़ती थी, जिसके लिए मत्स्य कृषकों एवं मछुआरों को प्रति 10 हजार घन फीट पानी के बदले 4 रुपए का शुल्क अदा करना पड़ता था, जो अब फ्री में मिलेगा। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=stwIUBJpMGE&t=4s[/embed] मत्स्य पालक कृषकों एवं मछुआरों को प्रति यूनिट 4.40 रुपए की दर से विद्युत शुल्क भी अदा नहीं करना होगा। ये भी पढ़े: 66 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करेगी यह राज्य सरकार, मिलेगी हर प्रकार की सुविधा
  • राज्य सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान (सब्सिडी) उपलब्ध कराती है।
  • मत्स्य पालकों को 5 लाख रुपए तक का बीमा दिया जाता है।
  • मछुआ सहकारी समितियों को मत्स्य पालन के लिए जाल, मत्स्य बीज एवं आहार के लिए 3 सालों में 3 लाख रुपए तक की सहायता दी जाती है।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के 19वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू जी ने महिलाओं व विद्यार्थियों को संबोधित किया

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के 19वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू जी ने महिलाओं व विद्यार्थियों को संबोधित किया

महामहिम राष्ट्रपति मुर्मू जी के मुख्य आतिथ्य में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान का 19वां दीक्षांत समारोह संपन्न किया गया। इसके चलते उन्होंने कहा कि डेयरी उद्योग के प्रबंधन में नारी-शक्ति की एक अहम और महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के शताब्दी वर्ष में 19वां दीक्षांत समारोह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मुख्य आतिथ्य में हुआ है। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक प्रमुख अतिथि थे। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा है, कि भारत में डेयरी उद्योग के प्रबंधन में नारी-शक्ति प्रमुख भूमिका निभा रही है। डेयरी क्षेत्र में 70 फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी महिलाओं की है। अत्यंत खुशी की बात है, कि आज डिग्री धारक विद्यार्थियों में एक-तिहाई से ज्यादा लड़कियां शम्मिलित हैं। स्वर्ण पदक हांसिल करने वाले विद्यार्थियों में भी 50 प्रतिशत लड़कियां ही हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने डेयरी क्षेत्र से संबंधित क्या कहा है ?

राष्ट्रपति मुर्मू जी का कहना है, कि डेयरी क्षेत्र का महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ उनकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में परिवर्तन लाने में अहम महत्व है। हमें यह सुनिश्चित करने की बेहद आवश्यकता है, कि इन महिलाओं के पास फैसला लेने एवं नेतृत्व प्रदान करने के लिए समान अधिकार और अवसर हों। इसके लिए इन महिलाओं को शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास हेतु अधिक अवसर मुहैय्या कराने की जरूरत है। साथ ही, डेयरी फार्मिंग में महिलाओं को उद्यमी बनाने हेतु सुगमता से ऋण की सुविधा और बाजार पहुंच की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने पंजाब- हरियाणा के कृषकों ने हरित क्रांति के साथ-साथ श्वेत क्रांति की सफलता में भी प्रमुख भूमिका निभाने का आह्वान करते हुए किसानों का अभिनंदन किया है। उन्होंने कहा है, कि दूध व दूध से जुड़े उत्पाद सदैव ही भारतीय खान-पान एवं संस्कृति का अटूट भाग रहे हैं। मां के दूध के साथ गाय का दूध भी सेहत के लिए अमृत माना गया है।

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गाय के दूध को वेदों में अमृत के समान दर्जा दिया गया है

ऋग्वेद में कहा गया है, कि गोषु प्रियम् अमृतं रक्षमाणा अर्थात गोदुग्ध अमृत के समतुल्य है। जो रोगों से संरक्षण करता है। दूध को काफी पवित्र माना जाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल देवताओं का अभिषेक करने के लिए भी किया जाता है। आज भी भारत में बुजुर्गों द्वारा महिलाओं को 'दूधो नहाओ-पूतो फलो' का आशीर्वाद प्रदान किया जाता है। गाय व बाकी पशुधन भारतीय समाज-परंपराओं का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। भारतीय परंपरा में गाय समेत पशुधन को समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। गाय के प्रति श्रीकृष्ण का प्रेम, शिवजी और नंदी की कहानियां भी हमारी संस्कृति का अटूट हिस्सा हैं। कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन आजीविका या जीवनयापन का प्रमुख साधन हैं।

डेयरी उघोग ने भारत की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की है

राष्ट्रपति मुर्मू जी का कहना है, कि डेयरी उद्योग भारत की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। गौरवान्वित करने वाली यह बात है, कि भारत विश्व का सर्वोच्च दूध उत्पादक देश है। भारत के वैश्विक दूध उत्पादन में तकरीबन 22 प्रतिशत भागीदारी है। डेयरी क्षेत्र का भारत की जीडीपी में तकरीबन 5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। डेयरी उद्योग तकरीबन 8 करोड़ परिवारों को आय का जरिया बनता है। इस वजह से एनडीआरआई जैसे संस्थानों की भारत के समावेशी विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। वर्ष 1923 में स्थापित एनडीआरआई द्वारा भारत में डेयरी उद्योग के विकास में विशेष योगदान दिया है। संस्थान के अनुसंधान ने डेयरी उत्पादन क्षेत्र में उत्पादकता, कुशलता और गुणवत्ता को सुधारने में सहायता प्रदान की है। उन्होंने खुशी जाहिर की है, कि एनडीआरआई ने ज्यादा दूध देने वाली भैंसों और गायों के क्लोन से उत्पादन करने की तकनीक विकसित की गई है। इससे पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में इजाफा किया जा सकेगा। किसानों की आमदनी में भी बढ़ोत्तरी होगी।

बढ़ती जनसँख्या से दूध की मांग में हुई वृद्धि

उन्होंने बताया है, कि भारत की बढ़ती जनसँख्या की वजह दूध से संबंधित उत्पादों की मांग बढ़ रही है। साथ ही, पशुओं के लिए बेहतरीन गुणवत्तावाले चारे का प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम में बदलाव व पशुओं की बीमारियां, इन समस्त परेशानियों से डेयरी क्षेत्र जूझ रहा है। दूध उत्पादन, डेयरी फार्मिंग को स्थिर बनाना हमारे समक्ष एक चुनौती है, जिसका निराकरण निकालकर भारत की आवश्यकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी सरकार समेत समस्त स्टैकहोल्डर्स की है। हम सबकी जिम्मेदारी है, कि हम पशु-कल्याण को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरण अनुकूल एवं जलवायु स्मार्ट प्रौद्योगिकियां अपनाकर डेयरी उद्योग का विकास करें। उन्होंने इस पर भी हर्ष व्यक्त किया है, कि एनडीआरआई डेयरी फार्मों से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने हेतु बहुत सारी तकनीकों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। साथ ही, बायोगैस उत्पादन जैसे क्लीन एनर्जी के स्रोतों पर भी जोर दे रहा है।

महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने विद्यार्थियों को किया संबोधित

महामहिम राष्ट्रपति मुर्मू जी का विद्यार्थियों से कहना है, कि आप जीवन के नए अध्याय की तरफ बढ़ रहे हैं। आप हमेशा नवीनतम जानकारियों और सीखने के लिए प्रयत्नशील रहें और जनकल्याण के लिए काम करें। आपमें से कुछ विद्यार्थी डेयरी उद्योग में रोजगार प्रदाता व उद्यमी अवश्य बनें। इस उद्योग में विकास की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। साथ ही, आपको इन संभावनाओं का फायदा उठाना चाहिए। एनडीआरआई द्वारा देश के बहुत सारे हिस्सों में डेयरी क्षेत्र में उद्यमशीलता और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने के लिए निरंतर कोशिशें की जा रही हैं। आशा है, कि आप इसका व सरकार की बाकी योजनाओं का फायदा लेते हुए उद्यमी के तौर पर आरंभ करेंगे और राष्ट्र की उन्नति में सर्वोच्च योगदान प्रदान करेंगे।

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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने क्या कहा है ?

केंद्रीय मंत्री तोमर का कहना है, कि एनडीआरआई देश का अत्यंत महत्वपूर्ण संस्थान है, जिसने 100 साल की गौरवशाली यात्रा संपन्न की है। भारतभर में कृषि विश्वविद्यालयों में प्रतिस्पर्धा में आईसीएआर से सम्बद्ध एनडीआरआई ने निरंतर 5 सालों तक पहला स्थान प्राप्त किया। जो कि गौरव की बात है। उन्होंने कहा है, कि पशुपालन-डेयरी क्षेत्र में आज भारत जिस स्थिति में खड़ा है, उसमें वैज्ञानिकों का योगदान भी अविश्वसनीय और सराहनीय है। भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसमें कृषि क्षेत्र की कल्पना पशुपालन व मत्स्यपालन के बगैर करना मुमकिन नहीं है। विशेष तौर पर लघु व भूमिहीन किसानों की रोजी-रोटी तो पशुपालन पर भी निर्भर करती है।

पशुपालन का कृषि क्षेत्र में अहम योगदान रहा है

कृषि की जीडीपी में पशुपालन का उल्लेखनीय योगदान है। इस क्षेत्र की जो चुनौतियां है, उनका निराकरण करते हुए आगे चलते रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया है, कि भारत में वर्ष 2021-22 में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 444 ग्राम प्रतिदिन रही। वहीं, 2021 के समय वैश्विक औसत 394 ग्राम प्रतिदिन था। भारत में 2013-14 से 2021-22 के मध्य दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में तकरीबन 44% की बढ़ोत्तरी हुई है। तोमर का कहना है, कि किसी भी विद्यार्थी के लिए दीक्षांत समारोह उसके जीवन का अवस्मरणीय पल होता है। यह और भी गौरवमयी बात है, कि साथ में शताब्दी समारोह का भी शुभारंभ है। उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा गया है, कि वह भारत की बड़ी सेवा में लगने वाले हैं।